Saturday, August 22, 2020

पश्चाताप व्यर्थ है

आप वाकई कुछ अच्छा करना चाहते हैं तो पूरे वर्ष के लिए पश्चाताप ना करें, हां !  एक वर्ष बहुत बड़ा होता है, और वेसे भी आप एक वर्ष की बातें याद  नहीं रख सकते, आप एक वर्ष क्या एक महीने की भी सारी बातें याद नहीं रख पाते, क्योंकि प्रकृति ने हमारे दिमाग की व्यवस्था ही वैसी की है, आप एक दिन की भी बहुत जरूरी बातें याद रख पाते हैं, बाकी सब भुला दी जाती हैं, वे हमारे अवचेतन में कई जन्मों तक मोजूद रहती हैं, पर हमारी चेतना में कुछ खास बातें ही रहती हैं और अगर आदमी को एक दिन की भी सारी बातें याद रह जाएं तो वो पागल हो सकता है, बल्कि एक दिन की भी जो बातें आदमी को याद हैं वो उन्हें भी याद नहीं रखना चाहता, तभी तो वो रात में शराब आदि का सहारा लेता है।
तो आप सब याद नहीं रख सकते इसलिए सब बातों का पश्चाताप भी नहीं कर सकते। तो आप बस यही कर सकते हैं कि अभी आप जो भी कर रहे हैं सजग होकर करें, आपकी प्रत्येक क्रिया, व प्रतिक्रिया, पश्चाताप व भुला देने वाली नहीं बल्कि शानदार याद और आनंद से सराबोर होना चाहिए। आप इस क्षण के लिए सजग हो जाएं, आने वाले सारे क्षण शानदार होंगे। 
ये  व्यर्थ की बातें नहीं हैं, में संक्षेप में बता रहा हूं तो आपको ये वेसी लग सकती है, मगर जब से मैंने यह जाना है मुझे किसी भी बात के लिए कभी कोई पछतावा नहीं हुआं है, और आप मेरे सभी लेख पढ़ेंगे तो यह और भी स्पष्ट हो जाएगा ।
रवि शाक्य,
संगीत एवं आध्यात्मिक गुरु।
https://ravifilmspro.blogspot.com/

Monday, August 3, 2020

शराब एक असर अनेक

शराब एक और असर अनेक ? 
कोई शराब पीकर, सिर्फ झगड़ा करने लगता है, 
कोई, बहुत भावुक, कोई बहुत प्रेमी हो जाता है, कोई शराब पीकर लोगों को ढूंढने लगता है बात करने के लिए, कोई पीकर सीधा बिस्तर पर जाकर सो जाता है, कोई बहुत मददगार हो जाता है, कोई बहुत कामुक, और कोई बहुत सुंदर बांसुरी बजाने लगता है, कोई दूसरो की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा देता है, और कोई नाली में गिर जाता है।
तो कोनसा गुण है शराब का ?
सभी शराबी एक ही तरह का व्यवहार क्यो नही करते ?
जो पीने के बाद नाली में गिरता है, असल में वह भीतर से तो गिरा ही हुआ है, शराब तो उसे सहारा देने का काम करती है, और जो पीने के बाद जनकल्याण के लिए सोचता है वह भी उसके भीतर का ही गुण है जो कि है ही, ऐसा केसे हो सकता है कि एक शराब में इतने अलग अलग असर  हों। असल में आदमी वहीं करता है जो करने की इच्छा उसके भीतर ही मोजूद है। और तुम्हे वहीं दिखाई देता है जो तुम देखना चाहते हो।
मेंने ऐसे पीने वाले देखें हैं कि पीने के बाद जितनी, करुणा, दया और प्रेम उनमें दिखाई देता है,उतना ना पीने वालों में कभी नहीं देखा। में शराब का समर्थन नहीं करता, लेकिन में उन बातों को भी अनदेखा नहीं कर सकता जो कि हैं। साधारण लोगों की सोच और व्यवहार ऐसा ही होता है कि एक आदमी किसी को शराब पीते देखकर कहता है कि वह देखो, वो एक नंबर का शराबी है, परंतु क्या ऐसा भी कोई आदमी देखा है आपने जो बोले, कि देखा होगा तुमने, मेंने तो उसे बहुत सुंदर बांसुरी बजाते देखा है, और इतनी सुन्दर बांसुरी बजाने वाला पीता भी होगा ? तो भी मुझे क्या ? अनेकों के लिए तो शराब दवा भी है, और अनेकों के लिए ज़हर भी। तो निष्कर्ष निकलता है कि शराब में केवल नशा होता है, उसका असर उसपर केसा होगा वह शराब में नहीं आदमी में ही होता है, पहले से ही मोजूद है, पीने के बाद वह वहीं चीज अधिक करता है जिसको करने की उसकी हार्दिक इच्छा है, चाहे वह जो भी हो,,,
में समझता हूं आदमी को वस्तुओं के बारे में राय बनाने के बजाय आदमी के मनोविज्ञान का अध्ययन करना चाहिए।
Professor Ravi Shakya,
Music and sprituality mentor.
 प्रवक्ता- राष्ट्रीय जनवादी समिति।