असल में संकल्प कमजोर होने के कारण ही आदमी नशा करता है।
मगर आदमी का असली चरित्र देखना हो तो नशे में ही देखना, बिना नशे में तो सब एक मुखौटे में अपने को छिपाए रहते हैं। भीतर कुछ और चल रहा है और बाहर सभ्य सुशील होने का ढोंग। नशे में आदमी बाहर से वही दिख जाता है जो वास्तव में वह है।
मेकाले लोगों का चरित्र बताता था। दूर दूर से लोग आते थे। इधर एक भारतीय वैज्ञानिक भी लोगों को सपने कैसे आते हैं सपनों का अध्ययन करके वह बताता था कि व्यक्ति का असली चरित्र क्या है। तो इस काम में कई साल लगते थे।
मेकाले सिर्फ १५ दिन में बता देता था।
मेकाले उस आदमी को अपने साथ रखता और १५ दिन तक खूब शराब पिलाता। और १५ दिन तक अध्ययन करके बता देता कि उस आदमी का असली चरित्र क्या है।
बहरहाल, हमारे लिए सभी इन्सान हैं। तो हमें उनके भीतर परमात्मा को देखने का प्रयास करना चाहिए।
तुम भी अच्छे रकीब भी अच्छे,
में बुरा था, मेरी गुज़र ना हुई।
तुम ना आए तो क्या सहर ना हुई,
हां मगर चेन से बसर ना हुई।।
रवि शाक्य,
संगीत एवं आध्यात्मिक गुरु🙏