कोई सूरत नज़र नहीं आती।
मौत का एक दिन मुअइय्यान है,
नींद क्यों रात भर नहीं आती।।
पहले आती थी हालेदिल पे हंसी।
अब किसी बात पर नहीं आती।।
सोचा तो था जिंदगी बहुत हसीन होगी, जिंदगी बहुत लंबी होगी,
जिंदगी में ये करेंगे, जिंदगी में वो करेंगे। मगर अभी कुछ दिनो से लगता है जिंदगी तो बहुत छोटी है,
क्या करेंगे कुछ करके। सब तो यहीं रह जाना है। पहले इस डर में जिए की मर तो नहीं जाएंगे। और अब मौत का डर ही नहीं। अब इस डर में जीते हैं कि हमारे कंधों पर जो भार है उसे उतारने का वक्त मिलेगा कि नहीं।
देखो ना, अभी रात के एक से अधिक बजे हैं, और कई बार सोने की कोशिश की मगर नींद नहीं आती।
पहले सोचा अपनों को सुला दूं फिर सोऊंगा। और जब सब सो गए तो में सो नहीं पा रहा।
बहुत बार तो ऐसा बहाना भी करता हूं कि मैं सो गया ताकि सब सो जाएं, लेकिन हर बार यही होता है कि मैं रात भर जागता हूं।
मन में कई ख्याल आते हैं। कभी कभी तो वो जो सुनहरे सपने देखे थे उन्हें ही दुबारा पूरी फिल्म की तरह देख लेता हूं। फिर लगता है वो तो सपने ही थे, सच्चाई तो यही है जो अभी है। सपने कहां सच होते हैं?
मन करता है दुबारा बच्चा हो जाऊं,
ताकि पल में झगड़ा करूं और पल में भूल जाऊं।
सोचा था जिंदगी में ऐसा कुछ करूंगा कि मेरे अपनों को हमेशा गर्व होगा। और मेंने किया भी बहुत।
मगर अब यही लगता है कि चला तो बहुत, पहुंचा कहीं भी नहीं..…...
क्या ये जिंदगी बेकार ही गई ?
क्या में इतना खराब हूं कि कोई मेरे साथ भी रह नहीं सकता ?
क्या में अपनों को थोड़ी भी खुशी नहीं दे सका ?
और भी बहुत सी बातें हैं मन में।
मन करता है किसी को ये सब रो रो कर बताऊं। मगर ऐसा एक भी नहीं,
किसको बताऊं ?
कुछ ऐसी भी बातें हैं जो शब्दों में कहीं भी नहीं जा सकतीं। जो सिर्फ महसूस करने की हैं। तो सोचता रहता हूं।
अब तो किसी गीत में भी मजा नहीं आता। पहले गीत के बिना जीना संभव नहीं था।
क्यों होता है ऐसा ?
कोई बता सकता है ?
कोई है ?
जबकि में ये जानता हूं कोई नहीं है।
मगर ये दिल,
ये दिल कहता है कि कोई है।
कोई तो है।
मेरे आस पास है।
यहीं कहीं है।
यहीं है।
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