[26/05, 8:29 am] ravifilmspro@gmail.com: भीतर से तो सभी सीधा ही सुनना चाहते हैं लेकिन पसंद उन्हें करते हैं जो घुमा फिरा कर कहते हैं, दबा छिपाकर करते हैं।
देखना भी सभी स्पष्ट और साफ चाहते हैं लेकिन पसंद उन्हें करते हैं जो मुखौटे पहने हुए हैं और लबादा ओढ़े हुए हैं।
क्या यह सच नहीं है ?
[26/05, 8:51 am] ravifilmspro@gmail.com: मेरे विचार, या तो तुम्हें बहुत पसंद आ सकते हैं या तुम्हें असहज कर सकते हैं।
लेकिन नजर अंदाज नहीं कर सकोगे।
[26/05, 8:52 am] ravifilmspro@gmail.com: में वो कहूंगा जिसे तुम सुनना पसंद नहीं करते,
लेकिन जानना जरूरी है।
[26/05, 8:56 am] ravifilmspro@gmail.com: सच चाहे जितना भी साफ क्यों ना हो, अगर वो सत्ता और परंपरा की नींव हिलाने लगे,
तो उसका विरोध होना तय है।
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