Wednesday, October 16, 2019

आपने जीवन को सरल बनाएं

एक बार भगवान बुद्ध कहीं से एक रुमाल लेकर आए, वैसे वे कभी कुछ लाते नहीं थे, रुमाल में एक गठान बांधी, और शिष्यों से पूछा कि इसमें कुछ अंतर हो गया है , या ये वही है ?
एक शिष्य ने कहा, एक अर्थ में तो ये रुमाल वही है, इसमें ना कुछ जोड़ा गया है, ना घटाया गया है, लेकिन दूसरे अर्थ में ये वही नहीं रहा, इसमें अब एक गांठ पड़ गई है !
जीवन भी कुछ ऐसा ही है...
हमने अपने भीतर अनेकानेक ज्ञान की, अनुभवों की, विश्वासों की, दौड़ की, मोह की, और ना जाने कितनी गांठें बांध लीं हैं, कि अब अगर हम उस बिना गांठ वाले रुमाल की तरह सरल, और उपयोगी होना चाहें तो संभव नहीं हो सकता । और अपने लिए ही उपयोगी, दूसरे की बात छोड़ दें। और उससे भी बड़ी बात यह है कि हम अपने अंधेपन में उन गांठों को और, और खींचते हैं, उन्हें खोलने के लिए ?

और याद रहे, आपके दुख, कोई ऊपरी शक्ति, कोई, दूसरे लोग, या परिस्थितियां नहीं । ये वही गांठें है जो क्रमशह अपने बांधी थीं ।
और गांठ जिस भांति बांधी जाती है उसी भांति खोली जा सकेगी, खींच कर नहीं, जिस रास्ते से चले थे उसी पर अब विपरीत चलना होगा, दुनिया का कोई भी रास्ता एकतरफा नहीं होता, हर रास्ते में दो दिशाएं होती हैं, आप पैदा हुए थे तो वैसे ही थे जैसे धरती आकाश पेड़ पौधे और अन्य जीव, उनमें कुछ बदला नहीं, वे अब भी  बहुत आनंदित हैं, मनुष्य को छोड़कर सब प्राकृतिक है, आनंदित है ।  अगर इस भागमभाग से थोड़ी अरुचि, हो गई हो, और आपकी उम्र थोड़ी और शेष मालुम होती हो, तो पीछे लौटा जा सकता है, गांठें खोली जा सकती हैं, जीवन को जिया जा सकता है ।
Professor Ravi shakya,
Music and spirituality mentor

Friday, October 4, 2019

नालायक बेटे अक्सर....

[04/10, 5:42 pm] ravifilmspro@gmail.com: पिता ने पुत्र से कहा- बेटा संभल कर चलना
जिंदगी के रास्ते बहुत बुरे हैं,
पुत्र ने जवाब दिया-
संभल कर तो आपको चलना है, मुझे तो आपके पद चिन्हों पर चलना है ।
[04/10, 5:42 pm] ravifilmspro@gmail.com: नहीं उसे कहना चाहिए कि आपने मुझे इस लायक बना दिया है कि मैं रास्ते खुद बना सकता हूं, इसके लिए आप सदैव मेरे आदर्श हैं । परंतु अभी तो मेरी उम्र है ठोकर खाने की, गिर कर संभलने की नए मार्ग खोजने की अभी जब ताकत भी है और जवानी भी, अगर अभी निर्जन पहाड़ों में रास्ते बनाने की हिम्मत नहीं जुटा सका तो आपकी उम्र में कैसे करूंगा,

सार ये है कि नालायक बेटे अक्सर वही ठहर जाते हैं, जहां उनके बाप ठहरा करते हैं ।
Professor
Ravi shakya,
Music and spirituality mentor.

युद्ध क्यों होते हैं

दुनिया में जितने भी युद्ध हुए हैं, सब किसी अंधे धृतराष्ट्र की वजह से । तीन हजार साल में लगभग पांच हजार युद्ध इतिहास में मिलते हैं, यानी हर दिन एक से अधिक युद्ध हुए, और जिन दिनों में नहीं हुए तब उनकी तैयारी होती रही होगी।
महात्मा गांधी अगर देश के राष्ट्रपिता ना होकर राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री होते तो आज की बुनियादी समस्याएं और कुछ होती या समस्याएं कम होती, भारत का भूगोल भी अलग होता । क्योंकि, उनके पास ठीक ठीक देखने वाली आंखें थीं, मगर फिर शायद वे महात्मा ना हो पाते, सभी महात्माओं के पास ठीक आंखें होती है, मगर महात्मा राजा नहीं होते, गुरु हमेशा सलाहकार रहे हैं रााजाओं के। जबकि गुरु ही राजा को बनाते हैं, और फिर राजा के हाथों की कठपुतली। गांधी जी भी भीष्म पितामह की तरह ही किसी अंधे धृतराष्ट्र के हाथों मजबूर रहे होंगे आप समझ सकते हैं । मेरे ख्याल से अगर कोई मानवतावादी है तो उसे इंसान की, परिवार और समाज की भलाई के बारे में ही सोचना चाहिए, और सत्ता पाना है तो राजनीति करना चाहिए,
नहीं तो समाज में राजनीति और राजनीति में समाज घुस जाते हैं, और तब संघर्ष अनिवार्य है।
दुनिया के सब युद्ध किसी अंधे राजा की महत्त्वाकांक्षा का परिणाम हैं। बात देश की ही नहीं व्यक्तियों की भी है, परिवार में भी सत्ता जब महत्वाकांक्षा में बदलती है तो संघर्ष व शोषण ही परिणाम होते हैं ।
पूज्य बापू को नमन।

रवि शाक्या,
संगीत एवं आध्यात्म गुरु