[04/10, 5:42 pm] ravifilmspro@gmail.com: पिता ने पुत्र से कहा- बेटा संभल कर चलना
जिंदगी के रास्ते बहुत बुरे हैं,
पुत्र ने जवाब दिया-
संभल कर तो आपको चलना है, मुझे तो आपके पद चिन्हों पर चलना है ।
[04/10, 5:42 pm] ravifilmspro@gmail.com: नहीं उसे कहना चाहिए कि आपने मुझे इस लायक बना दिया है कि मैं रास्ते खुद बना सकता हूं, इसके लिए आप सदैव मेरे आदर्श हैं । परंतु अभी तो मेरी उम्र है ठोकर खाने की, गिर कर संभलने की नए मार्ग खोजने की अभी जब ताकत भी है और जवानी भी, अगर अभी निर्जन पहाड़ों में रास्ते बनाने की हिम्मत नहीं जुटा सका तो आपकी उम्र में कैसे करूंगा,
सार ये है कि नालायक बेटे अक्सर वही ठहर जाते हैं, जहां उनके बाप ठहरा करते हैं ।
Professor
Ravi shakya,
Music and spirituality mentor.
No comments:
Post a Comment