सवाल पाप और पुण्य का नहीं है, कर्म का है। हम कोई काम करते हैं तो वह एक साथ सभी के लिए अच्छा नहीं हो सकता, एक काम ही जब एक के लिए अच्छा होता है ठीक उसी समय दूसरे के लिए बुरा, और दूसरे के लिए बुरा न हो तो पहले के लिए अच्छा नहीं हो सकेगा। ऐसा भी नहीं है कि आज की पीढ़ी अधिक संस्कारित है और पहले के लोग सभी बुरे थे।और ऐसा भी नहीं कि पहले के सभी लोग अच्छे होते थे, हम अक्सर हम सुनते हैं कि जमाना खराब आ गया, तो जमाना कब अच्छा था ?
या इसके उलट ये कहें कि अब लोग जागरूक हो गए तो मूर्ख कब थे ?
लोगो की मूल पृवृत्तियां आज भी वही हैं जो पांच हजार साल पहले थीं । हर ज़माने में लोग यही कहते रहे कि आज की पीढ़ी भली मालुम होती है, और वो पीढ़ी कोनसी थी ये कोई नहीं जानता, और हर ज़माने में ये कहा जाता रहा कि पहले के लोग बहुत अच्छे थे और वे कब थे ये भी कोई नहीं जानता। अगर पहले के लोग भले थे तो राम ने किसको सुधारने के लिए अपना जीवन कांटों भरा जिया, कृष्ण ने किसको समझाने के लिए गीता कही, और बुद्ध, महावीर की शिक्षाएं किसके लिए थीं ?
हर युग में महापुरुष किसको कहते रहे कि चोरी करना पाप है, हिंसा पाप है ? और किसको कहा कि परोपकार पुण्य है, सभी गृंथ, सभी किताबें तो यही बताती हैं कि लोगों को बहुत उपदेश दिए गए, और आज भी दिए जा रहे हैं, तो अच्छे लोग कब थे, और बुरे लोग भी कब थे ?
चीन की पांच हजार साल पुरानी किताब भी कहती है कि चोरी करना पाप है, मतलब उस समय लोग चोरी करते थे ?
तो ये भी कैसे माना जा सकता है कि आज के लोग अच्छे हैं,
मोक्ष के मार्ग हैं, ज्ञान योग, कर्म योग और भक्ति योग ।
बच्चा ज्ञान योग में है, उसका पिता कर्म योग में, और उसकी मां, भक्ति योग में, और तीनों को पहुंचना एक ही जगह है, और वह है मोक्ष । मगर इस तरह से पहुंचने में उन तीनों को ही बहुत देर लगेगी, उसके विस्तार में जाना होगा तब स्पष्ट हो सकेगा ।
अगले पार्ट में।
धन्यवाद।🙏
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