वैसे तो यह केवल एक कहानी है। पर ये मानवीय व्यवहार पर सटीक बैठती है।
कहानी है कि भगवान ने जब सृष्टि बनाई तो सब कुछ बनाया। और अंत में आदमी बनाया। और आदमी को बनाने के बाद कुछ भी नहीं बनाया।
आदमी को बनाने के बाद भगवान ऩे उसका निरीक्षण किया। और पाया कि ये बहुत अद्भुत चीज़ बन गई। भगवान भी घबरा गया। और उसने देवताओं को बुलाया । देवताओं से पूछा कि ये जो आदमी मैंने बना दिया है यह बहुत ख़तरनाक है, ये एक दिन मुझे भी परेशान करेगा। ये सब चीजों की परिभाषा अपने स्वार्थ के अनुसार करेगा, ये मुझे भी बिगाड़ देगा। मेरे नाम से लोगों को डराएगा, और डर का धंधा करेगा।
तो मुझे ऐसी जगह बताओ कि मैं वहां छुप सकूं और इस आदमी को न मिलूं।
देवताओं ने विचार किया और सुझाव दिये। किसी ने कहा भगवान। आप हिमालय में जाकर छुप जाओ, भगवान ने कहा पागल हो ?
ये जो आदमी मैंने बना दिया है यह इतना अद्भुत है कि हिमालय में तो बैठा ही मिलेगा। किसी ने कहा कि भगवान आप चांद तारों में छुप जाओ। भगवान गुस्सा हुए, बोले तुम समझे ही नहीं कि ये आदमी केसा है। ये देर सबेर वहां भी पहुंच जाएगा।
फिर काफी सोच-विचार हुआ।
एक देवता ने कहा भगवान क्या ऐसा हो सकता है कि आप इस आदमी के भीतर ही छुप जाओ।
भगवान को यह बात समझ आई, भगवान ने कहा कि ये ठीक है ।
ये और सब जगह मुझे ढूंढेगा, नहीं ढूढैगा तो सिर्फ अपने भीतर ।
और तबसे भगवान आदमी के भीतर छिपे हुए बैठे हैं।
और जेसाकि हम देखते हैं कि सब जगह भगवान को ढूंढ ढूंढ कर बताते हैं लोग, मथुरा में, काशी में, कैलाश में, राम, कृष्ण, गिरिराज, ओर अन्य अनेक नामों से।
मगर भगवान न वहां हैं, न उनके ये नाम हैं। वे तो आपमें हैं। आपका ही नाम। कुछ थोड़े से चालाक लोग आपकी बुद्धि पर राज करते हैं और आपको उनकी गुलामी की आदत हो गई। मगर भगवान इससे खुश नहीं हैं। अब भगवान् भी चाहते हैं कि तुम उसे ढूंढ लो। उन्हें तुम्हारा प्यार चाहिए, ढोंग नहीं।
Ravi Shakya,
Music and spiritually mentor.
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