में जब कोई काम हाथ में लेता हूं तो इस बात की परवाह नहीं करता कि मुझे उसका कितना महनताना मिल रहा है। क्योंकि यह विचार जेसे ही आता है उस काम में मन भी आधा हो जाता है, यही कारण है कि लोग अपने काम में परफेक्शन नहीं ला पाते हैं, और कुछ बहाने खोज लेते हैं। मुझे ऐसे लोग भी पसंद नहीं। मुझे कामचलाऊ काम पसंद नहीं।
अगर आप किसी काम को परफेक्ट नहीं कर सकते तो उसके लिए मना कर देने की हिम्मत भी रखिए।
क्या आप जानते हैं आधे मन और पूरे मन से काम करने में उतना ही अंतर होता है जितना कि एक शानदार जीत और पूर्ण पराजय में।
नेपोलियन जिसने दुनियां को फतह करने की कोशिश की थी वह मिर्गी का मरीज था ये कोई नहीं जानता, सब उसके पराक्रम और साहस के बारे में ही जानते हैं। एल्प्स पर्वत के सामने नेपोलियन की सेना खड़ी थी।
एक बूढ़े ने कहा- "बेटा इस पर्वत को जिसने भी पार करने की कोशिश की है वह जिन्दा नहीं बचा। मेरी सलाह है वापस चले जाओ"। नेपोलियन की डिक्शनरी में असंभव शब्द था ही नहीं। बूढ़े की बात सुनकर उसकी आंखों में और भी चमक आ गई, और उसने अपनी सेना से एक ही वाक्य कहा- "सैनिको आगे बढ़ो" और नेपोलियन पर्वत के उस पार जाकर जीतकर वापस लौटा।
लंदन में एक घड़ी बनाने वाला था, उसकी ख्याति दूर दूर तक थी । एक दिन एक आदमी को उसने घड़ी बनाकर दी और कहा- "सात साल में भी अगर इस घड़ी के समय में सात मिनट का अंतर भी आ जाए तो वापस ले आना, में दूसरी बनाकर दूंगा"।
वह आदमी चला गया और पांच साल बाद आकर बोला, महाशय इस घड़ी के समय में पांच मिनट का अंतर आया है। मगर मुझे दूसरी घड़ी नहीं चाहिए। क्योंकि पांच साल में सिर्फ पांच मिनट का अंतर, इससे अच्छी घड़ी क्या होगी। लेकिन घड़ी वाले ने उस घड़ी पर हथौड़ा मारकर कहा- यह तुम्हें पसंद है मगर मैं भी अपनी बात के लिए वचनबद्ध हूं।
मेरे हिसाब से घड़ी खराब है और मैं तुम्हें दूसरी बनाकर दूंगा।
ये होती है ईमानदारी, ये है काम में परफैक्शन, और ये है पूरे मन से किया जाने वाला काम।
अच्छे काम का नतीजा देर से मिल सकता है, मगर वह लोगों को युगपुरुष बनाने वाला होता है।
न्युयार्क में एक आदमी हथौड़ा बनाता था। कुछ लोग वहां काम के लिए आए थे, और वे अपना हथौड़ा भूल आए थे। उनमें से एक ने उस आदमी से कहा मेरे लिए आप सबसे अच्छा हथौड़ा बना दीजिए।
उसने हथौड़ा बनाकर दे दिया। वह हथौड़ा इतना प्रसिद्ध हो गया कि सभी उसके पास आने लगे। जिसने पहला हथौड़ा बनवाया था उसका एक साथी भी आया और कहा आप मेरे लिए भी एक हथौड़ा बना दीजिए। लेकिन यह हथौड़ा पहले वाले से भी अच्छा होना चाहिए।
हथौड़े वाले ने उसका एडवांस उसके हाथ में वापस देते हुए कहा- "माफ कीजिए, उससे अच्छा हथौड़ा नहीं बन सकता । क्योंकि मैं जब कोई काम करता हूं तो उसमें कोई कोर कसर नहीं छोड़ता।
क्या है इतनी जिम्मेदारी ? क्या है इतना समर्पण अपने काम के साथ ?
नहीं । आपके पास इमानदारी नहीं, समर्पण नहीं, परफेक्शन नहीं। तो फिर आपके पास सिर्फ बहाने हैं।
और आप कुछ समय के लिए कुछ लोगों को बेवकूफ बना सकते हैं। लेकिन हमेशा के लिए सभी लोगों को नहीं।
🙏रवि शाक्य🙏
संगीत एवं आध्यात्मिक गुरु।
Sir ji very nice thing you said
ReplyDeleteIt's inspiring
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