Sunday, March 28, 2021

होली एक दिन नहीं जीवनभर।

होली मतलब रंग, उमंग, उल्लास व उत्साह है। क्या आप आज भी उन सभी बुरी बातें व  व्यर्थ की चीजों को संभाल कर रखना पसंद करेंगे जो आपके आनंद में बाधक हैं, नहीं ना। 
तो.... आज के दिन हम उन सभी चीजों को जला देते हैं। यह बसंत रितु का एक बहुत महत्वपूर्ण दिन है जो आपको याद दिलाता है कि आपके चारों ओर रंग बिरंगे फूल खिले हैं। और इसी कारण इसे रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। रंग प्रतीक हैं उल्लास का, गीत का न्रत्य का। क्या आप जानते हैं आप सभी के जीवन में सात का बड़ा आंकड़ा है, संगीत के सात सुर, इंद्रधनुष के सात रंग, सात फेरे, टौने टोटके में सात। और अन्य अनेक प्रकार के सात के आंकड़े जाने अनजाने हमारे जीवन में बने रहते हैं।
बहरहाल, इन सभी में संगीत हमारे जीवन को सर्वाधिक प्रभावित करता है। क्योंकि आप चाहें या न चाहें, अनजाने ही आप अपने दैनिक जीवन में संगीत से जुड़े रहते हैं। कोई भी उत्सव हो, आपको संगीत सुनाई पड़ ही जाएगा। ये और बात है कि जिनका जीवन बिल्कुल सतही है उन्हें आजकल सिर्फ डी जे पसंद है। मगर आप संगीत से नहीं भाग सकते । तो.. ये उल्लास है, ये उत्साह है और असल मायने में आनंदित रहने का सबसे बड़ा साधन है। तो होली का असल मतलब उल्लास है। जो संगीत से पूर्ण होता है।
आजकल में देखता हूं, दुर्भाग्य से संगीत के जो विद्यार्थी हैं वे भी अपने जीवन में  संगीत के बजाय सभी गेरजरूरी साधन इकट्ठे करने में लगे हैं, वे साधन कुछ भी हो सकते हैं, शायद, धन, पद, प्रतिष्ठा या और कुछ । यही कारण है कि उनके जीवन में कोई होली, कोई बसंत, कोई फूल, कोई रंग या सुरों का सच्चा सोंदर्य नहीं दिखाई देता। वे अपने लिए सबकुछ पहले ही निर्धारित कर चुके हैं । असल में वे कुछ नहीं करते उनके पालकों के दिमाग की बकवास उनका निर्माण कर रही है। बेचारे बच्चे, जीवन के प्रारंभ में ही जीवन से भाग रहे हैं, मुझे उनकी चिंता है। भगवान् उनको सद्बुद्धि दे ताकि वे जीवन के  असली रंग में सराबोर हो सकें। वे होली का सही अर्थ जान सकें कि होली का उल्लास एक दिन नहीं बल्कि जीवन भर का उल्लास बन जाए। इस होली पर आप सब के लिए मेरी यही शुभकामना है।
🙏रवि शाक्य🙏
संगीत एवं आध्यात्मिक गुरु।

Thursday, March 18, 2021

तुम स्वाभिमानी नहीं ढोंगी हो।

आपका स्वाभिमान वह नहीं है जो मूलतः आप हैं, यै सिर्फ एक सामाजिक मुखौटा है जिसे आपने स्वयं गढ़ा है। 
मैं ऐसेअनेक लोगों को जानता हूं जो घर से बाहर निकलते ही वह मुखौटा पहन लेते हैं, और घर आकर उतार कर खूंटी पर टांग देते हैं। जो बाहर बड़ी बड़ी बातें करते हैं कभी उनके घर में उनके साथ रहकर तो देखना, वो आदमी आपको बिलकुल नकली लगेगा। आप कितने ही बुद्धिमान होने का दावा करें, कितने ही धनवान और इज्जतवान होने का दावा करें मगर अगर आपने अपने अहम को नहीं छोड़ दिया है तो आप सिर्फ एक अच्छे ढोंगी से अधिक कुछ भी नहीं हैं। हां ! ऐसा ही है। कभी आपने खेत में खड़ा हुआ बिजूका देखा है ? 
वह सीधा अकड़ कर खड़ा रहता है। वह पक्षियों को डराने-धमकाने का काम करता है, तो ये हो रहा है। ये और बात है कि वह स्वयं हिल भी नहीं सकता अपनी जगह से। मेने असल जिंदगी में भी ऐसे अनेक बिजूके देखे हैं। आपने भी देखें होंगे, क्या यह सच नहीं है ?
तो मैंने एक दिन सोचा कि इससे पूछ ही लूं। तो मैंने एक बिजूके से कहा भाई तुम दिनभर धूप में खड़े रहते हो, थकते नहीं, और क्या बोर नहीं होते, थोड़ा लोगों से मिलो जुलो, हंसी मजाक करो। तो वह बोला -  " ऐसा नहीं है कि मेरा मन नहीं करता लोगों से मिलने, हंसी मजाक करने का, मगर इससे बड़ी गड़बड़ हो जायेगी। ये जो पक्षी मुझसे डरते हैं सिर्फ इसी कारण कि मैं अकड़ कर खड़ा रहता हूं। जरा भी हिला तो भेद खुल जाएगा, कि में सिर्फ बिजूका हूं और रही बात बोर होने की तो तुम तो जानते ही हो कि लोगों को डराने में जो मज़ा है उसकी बात ही कुछ और है। अरे नकली ही सही मगर मुझसे सब डरते हैं। बिना हिले डुले, बिना कहीं आए जाए, तो इससे बड़ा मज़ा क्या होगा भला। और तुम मुझसे कहते हो कि मैं अकड़ दिखाता हूं यहां खड़े खड़े, तो तुम तो असली आदमी हो,और तुम भी तो वही करते हो जो में करता हूं। तुम  अकड़ लिए घूमते हो, मेने तो सिर्फ कपड़े का मुखौटा पहन रखा है तुमने तो सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और न जाने कितने मुखौटे पहन रखे हैं ।और तुम हमेशा डरे रहते हो कि कहीं भेद न खुल जाए। तुम घर से बाहर निकलते हो तो मूंछ पर चावल लगाकर कि लगे कि बिरयानी खाकर आए हो, असल में तो तुम मुझसे भी गए गुज़रे हो क्योंकि जो में खड़े खड़े करता हूं तुम चल-फिर कर करते हो। में तो नकली हूं ही पर तुम तो आदमी हो ? कुछ तो आदमियत रखो। जरा जरा सी बात पर बताते हो पेसे का घमंड, जबकि भीतर से तुम भयभीत हो, तुम्हें चिंता सताती है कि कोई तुम्हें मामूली न समझ ले। मगर तुम भ्रम में हो कि लोग समझ नहीं रहे। लोग अब जान गए हैं कि तुम भी नकली आदमी हो।
हां ! यही सच भी है। तुम सिर्फ एक बिजूका हो। तुम ढोंगी हो और कुछ भी नहीं।
Ravi shakya,
Real music and spirituality mentor.

Wednesday, March 10, 2021

पढ़ाई और संगीत

पढ़ाई तो हम भी करते थे और उसी समय संगीत भी सीखते थे। बस फर्क सिर्फ इतना है कि आप शौक से सीखने आते हैं और हम दीवाने थे। शौक तो ऐसा ही है जिसे कभी भी छोड़ा जा सकता है, आप अपनी जिंदगी को कभी नहीं छोड़ना चाहेंगे, हां! क्या में ठीक कह रहा हूं।
तो हमारा फोकस तय होना चाहिए। अगर आप इंजीनियर या कुछ और होना चाहते हैं तो आपको संगीत के बारे में नहीं सोचना चाहिए, और संगीतकार अथवा कलाकार बनना चाहते हैं तो दूसरी चीजों के बारे में नहीं सोचना चाहिए। वर्ना आपकी कला में कई दूसरी चीजें घुस जाएंगी । बहरहाल ! अगर आप सच्चे कलाह्रदय हैं तो आप किसी भी परिस्थिति में उसे नहीं छोड़ सकते, यही कारण है कि आपके सीखने में भी वह बात दिखाई नहीं देती जोकि होना चाहिए। अगर आप संगीत को अपनी सर्वश्रेष्ठ चीज़ नहीं समझते और उसे प्राथमिकता नहीं दे सकते तो दूसरे शब्दों में आप उसका अपमान कर रहे हैं। तो मैं चाहूंगा कृपया आप वही सब कुछ करें जो आपके जीवन में महत्वपूर्ण है और संगीत को छोड़ दें। क्योंकि ये वाकई बहुत बड़ी चीज है, चलते फिरते की जाने वाली नहीं है। आप वही करें जिसमें आप अपने जीवन को न्योछावर कर सकते हैं और जो भी करते हैं उसी में जीवन को न्योछावर कर दे। कृपया अपने को पहचानें कि दरअसल आप किसके लिए बनें हैं, और क्या चीज़ आपको जीवन भर सुख दे पाएगी।
कहावत हे कि, मार मार मुसलमान नहीं बनाया जा सकता। मुझे लगता है आप अपने साथ ऐसा ही कुछ कर रहे हैं।

रवि शाक्य,
संगीत एवं आध्यात्मिक गुरु।

Tuesday, March 2, 2021

जीवन का संगीत

कुछ बातें कुछ समय के लिए कुछ लोगों पर लागू होती हैं, परंतु हर बात हर समय सभी पर लागू नहीं होती मेरे दोस्त। कोई भी विचार व्यक्तिगत तो हो सकता है, पर हम उसका सामान्यीकरण करके लकीर नहीं बना सकते जिस पर से सभी को गुजरना है। हो सकता है में आपके लिए कम महत्वपूर्ण हूं और आपके बगल में बैठा इंसान भी आपके लिए कम महत्वपूर्ण हो लेकिन हम तीनों के बीच जो जीवन की धारा बह रही है वही महत्वपूर्ण है। एक छोर पर आपको में दिखाई देता हूं और दूसरे छोर पर दूसरा, तीसरे छोर पर आप हैं। और हम तीनों के बीच जो जीवन है वह दिखाई नहीं देता। लेकिन वह जगह भी खाली नहीं है। सुना होगा कि शून्य भी मात्र शून्य नहीं है, और सत्य शब्दों में नहीं कहा जा सकता। सुना होगा कि रिक्तता तोड़ती नहीं जोडती है। तो जिस भांति में देखता हूं मुझे हम तीनों के बीच जो खाई, गड्ढे हैं वे दिखाई नहीं देते क्योंकि उनका कोई मोल नहीं है, और सारी बातें दो कौड़ी की हैं यदि हम अपने बीच की उस बहती हुई जीवन धारा को न देख सके, जिसके कारण ही आप भी जिंदा हैं और मैं भी। लेकिन वह है।और उसे देखने के लिए जो आंख चाहिए वह हमारे पास नहीं हैं शून्य को जो भरे हैं, रिक्त को जो पूर्ण किए हैं, वे जीवन के संगीत की जो धारा है उसे देख सकते हैं। जीवन का असली संगीत खंड - खंड, तुकड़ों में जीने में नहीं बल्कि उसकी पूर्ण समग्रता में जीने में है। और जिन्होंने भी इस सत्य को जान लिया है उन्हें अब और कुछ भी जानने की आवश्यकता नहीं रही है।

पं. रवि शाक्य
संगीत एवं आध्यात्मिक गुरु।