Wednesday, March 10, 2021

पढ़ाई और संगीत

पढ़ाई तो हम भी करते थे और उसी समय संगीत भी सीखते थे। बस फर्क सिर्फ इतना है कि आप शौक से सीखने आते हैं और हम दीवाने थे। शौक तो ऐसा ही है जिसे कभी भी छोड़ा जा सकता है, आप अपनी जिंदगी को कभी नहीं छोड़ना चाहेंगे, हां! क्या में ठीक कह रहा हूं।
तो हमारा फोकस तय होना चाहिए। अगर आप इंजीनियर या कुछ और होना चाहते हैं तो आपको संगीत के बारे में नहीं सोचना चाहिए, और संगीतकार अथवा कलाकार बनना चाहते हैं तो दूसरी चीजों के बारे में नहीं सोचना चाहिए। वर्ना आपकी कला में कई दूसरी चीजें घुस जाएंगी । बहरहाल ! अगर आप सच्चे कलाह्रदय हैं तो आप किसी भी परिस्थिति में उसे नहीं छोड़ सकते, यही कारण है कि आपके सीखने में भी वह बात दिखाई नहीं देती जोकि होना चाहिए। अगर आप संगीत को अपनी सर्वश्रेष्ठ चीज़ नहीं समझते और उसे प्राथमिकता नहीं दे सकते तो दूसरे शब्दों में आप उसका अपमान कर रहे हैं। तो मैं चाहूंगा कृपया आप वही सब कुछ करें जो आपके जीवन में महत्वपूर्ण है और संगीत को छोड़ दें। क्योंकि ये वाकई बहुत बड़ी चीज है, चलते फिरते की जाने वाली नहीं है। आप वही करें जिसमें आप अपने जीवन को न्योछावर कर सकते हैं और जो भी करते हैं उसी में जीवन को न्योछावर कर दे। कृपया अपने को पहचानें कि दरअसल आप किसके लिए बनें हैं, और क्या चीज़ आपको जीवन भर सुख दे पाएगी।
कहावत हे कि, मार मार मुसलमान नहीं बनाया जा सकता। मुझे लगता है आप अपने साथ ऐसा ही कुछ कर रहे हैं।

रवि शाक्य,
संगीत एवं आध्यात्मिक गुरु।

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