Wednesday, January 15, 2020

असली आनंद

कभी कभी बेवकूफ भी हो जाना चाहिए, बेवकूफ के पास कोई ईगो नहीं होता, और जहां ईगो नहीं होता वहां सिर्फ आनंद और शांति होती है। बाहरी ज्ञान सूचनाएं मात्र हैं, उनका ज्ञान से कोई संबंध नहीं है, उनसे आपके अहंकार की तृप्ति होती है, भीतर का आनंद ज्ञानी होने में नहीं, अहंकार त्यागने और भीतर की खोज में है, और खोज की इच्छा भी न हो, कुछ भी पाने की इच्छा भी ख़त्म हो जाए, खोज ही आनंद बन जाए, फिर कुछ शेष न रह जाए पाने को, अपना भी पता न हो, बस आनंद है और कुछ नहीं।इसी अवस्था को समाधि कहते हैं।
Professor Ravi Shakya,
Music and sprituality mentor

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