जब हम पैदा हुए थे तब भागते नहीं थे, कोई दौड़, कोई आकांक्षा, कोई लालच, कोई महत्त्वाकांक्षा, कोई माया जाल नहीं था,
फिर भी हमारे शरीर में रोज बदलाव होते थे, ठीक वैसे ही जैसे पेड़ पौधे में होते हैं, यही प्रकृति का नियम है, इसे सहज स्वीकार करना होगा । आप इस क्षण भी वही नहीं हैं जो एक क्षण पहले थे, हर क्षण बदलते हैं, दुनिया की सभी भौतिक चीजों हर क्षण बदलती है, ये प्राकृतिक है, इसलिए सस्वीकार्य होना चाहिए,
अच्छा ही होता सबकुछ, अगर जीवन में हम प्राकृतिक होते ।
मगर....
हम पैदा होने के ठीक बाद से ही सूचना और जानकारियों से भरने लगे, यही बाधा हो गई नैसर्गिक जीवन में,
ये सूचनाएं सब बाहरी हैं, भीतर का कोई सम्बन्ध नहीं है इनसे, में कहता हूं आप एक बार अपने आंतरिक जगत में यात्रा करने में समर्थ हो जाएं, और आप पाएंगे कि कुछ भी बदला नहीं है, सब कुछ ठीक है, कोई आपसे दूर नहीं, सारी दुनियां आपकी है, सारा ब्रह्माण्ड अपना मुखौटा उतार कर आपके सामने प्रस्तुत हो जाएगा ।
Ravi Shakya,
Music and sprituality mentor.
Wednesday, January 15, 2020
सारी दुनिया आपकी है
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👌👌
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